अंक ज्योतिष वास्तव में अंकों और ज्योतिषीय तथ्यों का मेल कहलाता है। अर्थात अंकों का ज्योतिषीय तथ्यों के साथ मेल करके व्यक्ति के भविष्य की जानकारी देना ही अंक ज्योतिष कहलाती है। जैसे कि आप सभी इस बात से भली भाँती अवगत होंगें कि अंक 1 से 9 होते हैं। इसके साथ ही ज्योतिष शास्त्र मुख्य रूप से तीन मुख्य तत्वों पर आधारित होते हैं: ग्रह, राशि और नक्षत्र। लिहाजा अंक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का मिलान सभी नौ ग्रहों, बारह राशियां और 27 नक्षत्रों के आधार पर किया जाता है। वैसे देखा जाए तो व्यक्ति के अमूमन सभी कार्य अंकों के आधार पर ही किये जाते हैं। अंक के द्वारा ही साल, महीना, दिन, घंटा, मिनट और सेकंड जैसी आवश्यक चीजों को व्यक्त किया जाता है।
जहाँ तक अंक ज्योतिष के इतिहास की बात है तो आपको बता दें कि इसका प्रयोग मिस्र में आज से तक़रीबन 10,000 वर्ष पूर्व से किया जाता आ रहा है। मिस्र के मशहूर गणितज्ञ पाइथागोरस ने सबसे पहले अंको के महत्व के बारे में दुनिया को बताया था। उन्होनें कहा था कि “अंक ही ब्रह्मांड पर राज करते हैं।” अर्थात अंकों का ही महत्व संसार में सबसे ज्यादा है। प्राचीन काल में अंक शास्त्र की जानकारी खासतौर से भारतीय, ग्रीक, मिस्र, हिब्रु और चीनियों को थी। भारत में प्रचीन ग्रंथ “स्वरोदम शास्त्र” के ज़रिये अंक शास्त्र के विशेष उपयोग के बारे में बताया गया है। प्राचीन क़ालीन साक्ष्यों और अंक शास्त्र के विद्वानों की माने तो, इस विशिष्ट शास्त्र का प्रारंभ हिब्रु मूलाक्षरों से हुआ था। उस वक़्त अंक ज्योतिष विशेष रूप से हिब्रु भाषी लोगों का ही विषय हुआ करता था। साक्ष्यों की माने तो दुनियाभर में अंक शास्त्र को विकसित करने में मिस्र की जिप्सी जनजाति का सबसे अहम योगदान रहा है।
अंक ज्योतिष का प्रयोग विशेष रूप से अंकों के माध्यम से व्यक्ति के भविष्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाती है। अंक ज्योतिष में की जाने वाली भविष्य की गणना विशेष रूप से ज्योतिषशास्त्र में अंकित नव ग्रहों (सूर्य, चंद्र, गुरु, राहु, केतु, बुध, शुक्र, शनि और मंगल) के साथ मिलाप करके की जाती है। 1 से 9 तक के प्रत्येक अंकों को 9 ग्रहों का प्रतिरूप माना जाता है, इसके आधार पर ही ये जानकारी प्राप्त की जाती है कि किस ग्रह पर किस अंक का असर है। जातक के जन्म के बाद ग्रहों की स्थिति के आधार पर ही उसके व्यक्तित्व की जानकारी प्राप्त की जाती है। जन्म के दौरान ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही जातक का व्यक्तित्व निर्धारित होता है। प्रत्येक व्यक्ति के जन्म के समय एक प्राथमिक और एक द्वितीयक ग्रह उस पर शासन करता है। इसलिए, जन्म के बाद जातक पर उस अंक का प्रभाव सबसे अधिक होता है, और यही अंक उसका स्वामी कहलाता है। व्यक्ति के अंदर मौजूद सभी गुण जैसे की उसकी सोच, तर्क शक्ति, दर्शन, इच्छा, द्वेष, स्वास्थ्य और करियर आदि अंक शास्त्र के अंकों और उसके साथी ग्रह से प्रभावित होते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि दो व्यक्तियों का मूलांक एक ही हो तो दोनों के बीच परस्पर तालमेल अच्छा होता है।
ज्योतिषशास्त्र की तरह ही अंक शास्त्र का भी महत्व ज्यादा होता है। इस विशेष विद्या के ज़रिये व्यक्ति के भविष्य से जुड़ी जानकारी को हासिल किया जा सकता है। अंक ज्योतिष या अंक शास्त्र की मदद से किसी व्यक्ति में विधमान गुण, अवगुण, व्यवहार और विशेषताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके माध्यम से शादी से पहले भावी पति पत्नी का मूलांक निकालकर उनके गुणों का मिलान भी किया जा सकता है। आजकल देखा गया है कि अंकशास्त्र का प्रयोग वास्तुशास्त्र में भी करते हैं। नए घर का निर्माण करते वक़्त सभी अंकों का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। उदाहरण स्वरूप घर में कितनी सीढ़ियां होनी चाहिए, कितनी खिड़कियाँ और दरवाज़े होनी चाहिए इसका निर्धारण अंक शास्त्र के माध्यम से ही किया जाता है। इसके साथ ही सफलता प्राप्ति के लिए भी लोग इस विद्या का प्रयोग कर अपने नाम की स्पेलिंग में भी परिवर्तन कर रहे हैं। जैसे कि फिल्म जगत की बात करें तो मशहूर निर्माता निर्देशक करण जौहर से लेकर एकता कपूर तक सभी ने अंक शास्त्र की मदद से अपना भाग्योदय किया है।
मूलांक में मुख्य रूप से अंकों का प्रयोग तीन तरीके से किया जाता है :
मूलांक : किसी व्यक्ति की जन्म तिथि को एक-एक कर जोड़ने से जो अंक प्राप्त होता है वो उस व्यक्ति का मूलांक कहलाता है। उदाहरण स्वरूप यदि किसी व्यक्ति कि जन्म तिथि 28 है तो 2+8 =10, 1 +0 =1, तो व्यक्ति का मूलांक 1 होगा।
भाग्यांक: किसी व्यक्ति की जन्म तिथि, माह और वर्ष को जोड़ने के बाद जो अंक प्राप्त होता है वो उस व्यक्ति का भाग्यांक कहलाता है। जैसे यदि किसी व्यक्ति की जन्म तिथि 28-04-1992 है तो उस व्यक्ति का भाग्यांक 2+8+0+4+1+9+9+2 = 35, 3+5= 8, अर्थात इस जन्मतिथि वाले व्यक्ति का भाग्यांक 8 होगा।
नामांक: किसी व्यक्ति के नाम से जुड़े अक्षरों को जोड़ने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वो उस व्यक्ति का नामांक कहलाता है। उदाहरण स्वरूप यदि किसी का नाम “RAM” है तो इन अक्षरों से जुड़े अंकों को जोड़ने के बाद ही उसका नामांक निकला जा सकता है। R(18, 1+8=9+A(1)+M(13, 1+3=4), 9+1+4 =14=1+4=5, लिहाजा इस नाम के व्यक्ति का नामांक 5 होगा।
इसके साथ ही आपको बता दें की अंक शास्त्र में किसी भी अंक को शुभ या अशुभ नहीं माना जाता है। जैसे की 7 को शुभ अंक माना जाता है लेकिन 13 को अशुभ, जबकि यदि 13 का मूलांक निकाला जाए तो भी 7 ही आएगा।
A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z
1 2 3 4 5 6 7 8 9 1 2 3 4 5 6 7 8 9 1 2 3 4 5 6 7 8 9
किसी भी व्यक्ति का मूलांक और भाग्यांक ये दोनों ही उसके जन्म तिथि के आधार पर निकाले जानते हैं, इसे किसी भी हाल में बदला नहीं जा सकता है। अंक शास्त्र के अनुसार यदि किसी का नामांक, मूलांक और भाग्यांक से मेल खाता हो तो ऐसे व्यक्ति को जीवन में अप्रत्याशित मान, सम्मान, खुशहाली और समृद्धि मिलती है। बहरहाल आजकल लोग अपने नाम की स्पेलिंग बदलकर अपने नामांक को मूलांक या भाग्यांक से मिलाने का प्रयास करते हैं। इसमें उन्हें सफलता भी मिलती है और जीवन सुखमय भी बीतता है।
अंक शास्त्र ज्योतिषशास्त्र की तरह ही एक प्राचीन विद्या है। ये दोनों ही एक दूसरे से परस्पर जुड़े हुए हैं। भविष्य से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करने के लिए अंक ज्योतिष विद्या का ही प्रयोग किया जाता है। हालाँकि इसके लिए ज्यादातर लोग ज्योतिषशास्त्र का ही प्रयोग करते हैं, अंक शास्त्र इस मामले में अभी भी पीछे हैं। वैसे तो अंक शास्त्र ज्योतिषशास्त्र का ही एक भाग है लेकिन भविष्य की जानकारियाँ देने में दोनों में अलग-अलग तथ्यों का प्रयोग किया जाता है। आजकल अंक शास्त्र की मदद से लोग विशेष रूप से कुछ कामों में अंकों की मदद लेते हैं। जैसे की लाटरी निकलने में या फिर मकान का अलॉटमेंट करने के लिए। जैसे की हमने आपको पहले ही बताया कि प्रतीक अंक किसी ना किसी ग्रह से जुड़े हैं। बहरहाल बात साफ़ है कि अंकशास्त्र और ज्योतिषशास्त्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। आजकल ना केवल आम व्यक्ति बल्कि बहुत सी जानी मानी हस्तियां भी अंक शास्त्र में विश्वास रखती हैं। ज्योतिषशास्त्र में जिस प्रकार से जातक के बारे में उसकी राशि और कुंडली में मौजूद ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार भविष्यफल बताया जाता है। इसके विपरीत अंक शास्त्र में व्यक्ति की जन्म तिथि के अनुसार मूलांक, भाग्यांक और नाम के अनुसार नामांक निकालकर भविष्य फल की गणना की जाती है।